आपकी लत से बड़े हैं आप

हम अपने जीवन में कई आदतों को अपनाते हैं, कुछ उपयोगी (जैसे सुबह जल्दी उठना) कुछ अनुपयोगी (जैसे सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा, अधिक भोजन,  मादक पदार्थ आदि) और कुछ न्यूट्रल (जैसे च्युइंग गम चबाना) I अच्छी आदतें हमारे शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक सबलता और भावनाओं को मजबूत बनाती हैं और वहीँ बुरी आदतें न जाने कब  लत में बदल जाती है और हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गंभीर दुष्परिणाम डालती हैI  ऐसी ही एक नयी दौर की आदत है “इंटरनेट” का अत्यधिक असीमित उपयोग I इसमे तो कोई शक नहीं है की इंटरनेट हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है I अनलिमिटेड डेटा पैक्स के ज़माने में चन्द क्लिक्स में ही देश दुनिया की जानकारी आपके सामने होती है I यू ट्यूब वीडियो देखना, शोध करना, ऑनलाइन गेम्स, शॉपिंग, पोर्नोग्राफी ऐसी अनेक चीज़ों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कभी सोचा है? क्या हम घंटों फ़िज़ूल की चैटिंग, गेमिंग, सर्फिंग में बर्बाद तो नहीं कर रहेI आपको लगता होगा इंटरनेट के आविष्कार से तो  हम धन्य हुए है इंटरनेट की लत कैसे लग सकती है? हो ही नहीं सकता।  लेकिन जब दिन और रात आप इसी में खोए रहें तो समझ लीजिये ये लत ही है। कुछ लोग इंटरनेट के इतने आदि हो जाते हैं की वे अपना हर पल इंटरनेट पे बिताते हैं और चाह कर भी इससे दूर नहीं रह पाते I कुछ मनोवैज्ञानिक शोधों में यह पाया गया है की इंटरनेट की लत लगभग शराब या अन्य नशो की लत की तरह ही है ये लत मस्तिष्क की उन्ही संरचनाओं एवं तंत्रिका मार्ग को प्रभावित करती है जो शराब एवं अन्य नशों से प्रभावित होती हैI अधिकतर समय इंटरनेट पर बिताने से हमारे मस्तिष्क में एक विशिष्ट  तंत्रिका मार्ग की रचना होती है जो हर इस्तमाल के साथ चौढ़ी होती जाती है।  यह वैसा ही है जैसे जंगल में एक राहगीर के निकलने से जो पगडण्डी बनती उस पर अन्य राहगीर भी चले तो एक रास्ता बन जाता है।  इसी प्रकार यह तंत्रिका मार्ग आटोमेटिक पाथवे बन जाता है और स्थापित होता जाता है. समय के साथ, पहली बार इंटरनेट को प्रयोग करने पर होने वाले मज़े को बरकरार रखने के लिए व्यक्ति अधिक समय तक ऑनलाइन बना रहता है और इस लत का  गुलाम बन जाता है I अच्छी बात यह है की इस लत से छुटकारा पाया जा सकता है।

क्या हैं इंटरनेट एडिक्शन के लक्षण : इंटरनेट में  इतना मशगूल  होना की आप  रोज़ मर्रा के ज़रूरी काम अनदेखा करने लग जाए, कोई भी  परेशानी के आने पर राहत के लिए इंटरनेट का रुख करना, ऑफलाइन होते ही स्टेटस और लाइक्स चेक करने की उत्सुकता बढ़ जाना, दुबारा ऑनलाइन होने की बेसब्री, इंटरनेट पर बिताये अत्यधिक समय के कारण पढाई या जॉब परफॉरमेंस ख़राब होना।  इंटरनेट से दूर रहने पर मूड खराब रहना और भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस करना, रात को नींद आने पर भी लालच के चलते ऑनलाइन बने रहना इत्यादि I

यह है समस्या का समाधान : यह सुनिश्चित करें की आपको या पीड़ित को ऑनलाइन २ घंटे से अधिक समय नहीं देना हैI शुरुआत में मन  नहीं मानेगा लेकिन धीरे धीरे दिमाग को इसकी आदत हो जायगी। यदि आप ऐसे पेशे में हैं जिसमे इंटरनेट पर ही काम होता है तो काम की जगह के अलावा इंटरनेट का प्रयोग 1/2 घंटा ही करें I परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताए जिससे आपका अकेलापन दूर हो।  सोने से एक घंटे पूर्व इंटरनेट बंद कर दें।  सुबह के 5 घंटे इंटरनेट फ्री रखे सिर्फ बहुत ज़रूरी हो तब ही मेल इत्यादि चेक करे, इससे आपका टाइम मैनेजमेंट भी बेहतर होगा और आप अपना समय बेहतर प्रयासों  में लगा पाएंगेI

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