स्किझोफ्रेनिया: इंसान खो जाने वाला भूलभुलैया

18 साल का पंकज , हमेशा से शांत, अकेला रहने वाला (?schizoid personality) लेकिन पढाई लिखाई में काफी होशियार, न जाने अचानक से उसे क्या हो गया है। आजकल स्कूल जाता नहीं है, ना ही घर पर पढ़ते हुए नजर आता है…….आजकल कही भी आनाजाना नहीं करता, हमेशा अकेला बैठकर जैसे किसी सोच में खोया रहता है। उससे बात करने की कोशिश करो तो ठीक से जवाब भी नहीं दे पाता। न जाने कहा टकटकी लगाकर देखता रहता है। उसे न भूक-प्यास की सुध है ना ही दिन रात की समझ । कई दिनों तक, ना नहाने को राजी न ही अपने कपडे बदलने राजी। साफ़ सफाई की तो जैसे पर्वा ही ख़तम हो गयी है उसकी।

और परसो रात  तो हद् करदी  जनाब ने! अचानक से चीखने चिल्लाने लगा की कोई उसके मन के सारे विचार पढ़ रहा है, कोई उसके मन में जबरन विचार डाल रहा है!!
काफी मशक्कत के बावजूद भी पंकज मानने को तैयार नही ना ही शांत होकर सोने को राजी! फिर क्या, उसे जबरन हॉस्पिटल ले जाना पड़ा जहा जाच पड़ताल के बाद पाया गया की पंकज स्किझोफ्रेनिया (Schizophrenia) नाम की मानसिक बीमारी का शिकार है!

24 साल की सुकन्या, चुलबुली, शरारती, जिंदादिल! मानो अपने घर परिवार की जान… किसी भी सामाजिक उपक्रम में फिर वो शादी ब्याह हो या फिर समाजसेवी कार्य, सबसे अग्रेसर!लेकिन पिछले कुछ दिनों से सुकन्या डरी सहमी प्रतीत होती है। हमेशा चौकन्नी, जैसे मानो इस लड़की को किसी से जान का खतरा हो!काफी देर तक समझाने और पूछने के बाद सुकन्या धीरे से बताती है की कुछ लोग आजकल उसपर नजर रखे हुए है, ये लोग उसके हर हरकत पर ”हँसते है, गलत-सलत टिप्पणियां करते है”। लेकिन ताज्जुब की बात ये है की उनकी आवाजे घर के किसी भी और सदस्य या सुकन्या के दोस्तों को सुनाई नहीं देती! यहाँ तक की सुकन्या के घरवाले और दोस्त कहते है की उसे जरूर कोई गलतफैमी हुई है!सुकन्या की माने तो उसके आस पड़ोस वाले, यहाँ तक की घर के पास से गुजरने वाले अजनबी भी इन लोगो से मिले हुए है और ये सब मिलकर सुकन्या की हर हरकत पर नजर रखे हुए है!बहुत समझाने पर भी सुकन्या अपने बार पर अडिग है और आख़िरकार उसे जबरन तौर पर डॉक्टर के पास इलाज के वास्ते ले जाया जाता है….

मिलिए प्रसाद से…. ४०-४५ साल का लगने वाला ये इंसान अपने आप से बड़बड़ाता  हुआ,खस्ताहाल हालात में रास्ते पर हररोज भटकता हुआ पाया जाता है। कहा से आया, घरवाले किधर है कोई अतापता नहीं! कभी कोई कुछ खिला दे तो खाओ , कुछ कपडे मिल जाये तो पहन लो, रात को कही भी सो जाओ इस तरीके से पिछले कई सालो से ये अपना जीवन व्यतीत करता है। कभी ये बच्चो की छेड़खानी, पत्थरबाजी का शिकार होता है तो कभी ये बिना वजह गुस्से में आकर गालिया बकता है।आख़िरकार एक दिन पुलिस आकर प्रसाद को  मेन्टल हॉस्पिटल ले जाती है जहा पर ठीक होने के बाद प्रसाद के रिश्तेदारो का संपर्क होता है और आख़िरकार वो अपने घर वापिस चला जाता है!

मिलिए स्किझोफ्रेनिया  नाम की इस मानसिक बीमारी से, जो एक इंसान से केवल उसकी समझबूझ ही नहीं अपितु उसका इंसान होना भी छीनने की क्षमता रखती है!To be continued……

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